Saturday, 23 June 2012
A8 III router
A8III N Series150mbps Wireless 3G/4G Pocket Router Cum ADSL Modem GSM CDMA EVDO @1750/-
Details
Portable network device suitable for mobile broadband Internet connection
Compatible with HSUPA/HSDPA/CDMA EVDO USB adapters
Supports 802.11n/g WIFI speed up to 150 Mbps
Supports DSL/Cable Modem, static IP, dynamic IP(optional)
Shares a single IP address with up to 32 users
NAT & NAPT with VPN pass-through Virtual Server
Automatic receipt of IP address with DHCP Server
Simple management over web interface
Security through WEP, WPA and built-in firewall
Rechargeable battery (2400MAh), can charge your iPad/iPhone
No software installation necessary
Super Portable
The HAME A8 3G MiFi Mobile Broadband Wireless Router allows users to access worldwide mobile broadband. Simply insert a compatible 3G mobile broadband USB adapter into the device to share your mobile broadband Internet connection through a secure, high-speed 802.11n/g wireless network. A
10/100 Ethernet WAN port allows you to access a DSL/Cable modem as the primary backup connection. Auto-failover ensures an uninterrupted connection by automatically connecting to your mobile broadband network whenever your Ethernet network goes down.
Advanced Security
The A8 router ensures a secure Wi-Fi network through the use of WEP/WPA wireless encryption. Simply press the WPS button to quickly establish a secure connection to new devices. The A8 also utilizes built-in firewalls to prevent potential attacks and intrusions from across the Internet.
Easy to Use
The Mobile Broadband Wireless Router can be installed quickly and easily almost anywhere. No software installation required. Supports Windows®2000, XP, Vista, Linux 2.4 /2.6. This router is great for situations where an impromptu wireless network must be set up, or wherever conventional network
access is available. The A8 can be installed on buses, trains, or boats, allowing passengers to check e-mail or chat online while commuting.
Technical Specifications
LED Indicator x 5(Power/Battery/WIFI/Signal/ Network Mode)
Compliance to 802.11b/g/n standard with 100mV transmission power
Wireless Access Point &Gateway
MAC Clone
WEP 64-bit/128-bit Encryption WPA-PSK/WPS2-PSK/802.1x
Radius Server
WIFI Internal Antenna
Ports:
USB2.0 Modem Interface
DC Power Input 5V 1.5A (12V CAR USE)
10/100 Ethernet x 1
Operating System Support
Windows®2000, XP, Vista, Linux 2.4 /2.6
Environment Requirements:
Operating Temperature:0℃ to +70℃
Storage Temperature:-65℃ to +125℃
Humidity: 5%~95% (non-condensing)
Power Consumption:
Power Supply: 5~5.5V
Standard Package Contents:
436R Gateway
Mini-5pin Switching Power Adapter
5V DC Car Charger (optional)
RJ45 Ethernet Cable
Quick Start Guide
Dimension:
Dimension: 108*65*23.5mm
Weight : 98g
Compatible with HSUPA/HSDPA/CDMA EVDO USB adapters
Supports 802.11n/g WIFI speed up to 150 Mbps
Supports DSL/Cable Modem, static IP, dynamic IP(optional)
Shares a single IP address with up to 32 users
NAT & NAPT with VPN pass-through Virtual Server
Automatic receipt of IP address with DHCP Server
Simple management over web interface
Security through WEP, WPA and built-in firewall
Rechargeable battery (2400MAh), can charge your iPad/iPhone
No software installation necessary
Super Portable
The HAME A8 3G MiFi Mobile Broadband Wireless Router allows users to access worldwide mobile broadband. Simply insert a compatible 3G mobile broadband USB adapter into the device to share your mobile broadband Internet connection through a secure, high-speed 802.11n/g wireless network. A
10/100 Ethernet WAN port allows you to access a DSL/Cable modem as the primary backup connection. Auto-failover ensures an uninterrupted connection by automatically connecting to your mobile broadband network whenever your Ethernet network goes down.
Advanced Security
The A8 router ensures a secure Wi-Fi network through the use of WEP/WPA wireless encryption. Simply press the WPS button to quickly establish a secure connection to new devices. The A8 also utilizes built-in firewalls to prevent potential attacks and intrusions from across the Internet.
Easy to Use
The Mobile Broadband Wireless Router can be installed quickly and easily almost anywhere. No software installation required. Supports Windows®2000, XP, Vista, Linux 2.4 /2.6. This router is great for situations where an impromptu wireless network must be set up, or wherever conventional network
access is available. The A8 can be installed on buses, trains, or boats, allowing passengers to check e-mail or chat online while commuting.
Technical Specifications
LED Indicator x 5(Power/Battery/WIFI/Signal/
Compliance to 802.11b/g/n standard with 100mV transmission power
Wireless Access Point &Gateway
MAC Clone
WEP 64-bit/128-bit Encryption WPA-PSK/WPS2-PSK/802.1x
Radius Server
WIFI Internal Antenna
Ports:
USB2.0 Modem Interface
DC Power Input 5V 1.5A (12V CAR USE)
10/100 Ethernet x 1
Operating System Support
Windows®2000, XP, Vista, Linux 2.4 /2.6
Environment Requirements:
Operating Temperature:0℃ to +70℃
Storage Temperature:-65℃ to +125℃
Humidity: 5%~95% (non-condensing)
Power Consumption:
Power Supply: 5~5.5V
Standard Package Contents:
436R Gateway
Mini-5pin Switching Power Adapter
5V DC Car Charger (optional)
RJ45 Ethernet Cable
Quick Start Guide
Dimension:
Dimension: 108*65*23.5mm
Weight : 98g
Saturday, 21 April 2012
सुविचार - suvichaar
1. राष्ट्रवादिता ( राष्ट्रवाद क्या है और राष्ट्रधर्म सर्वप्रथम क्यों जरुर पढ़ें और राष्ट्रवादी बनें )
जो राष्ट्र को अपने जीवन में सदा सबसे ऊँचे स्थान पर रखता हो , वह राष्टवादी है !
धर्म में सबसे पहले राष्ट्रधर्म , उसके बाद अपना वैयक्तिक धर्म - हिन्दू , मुस्लिम , सिक्ख , इसाई आदि धर्म , देवों में प्रथम देवता राष्ट्रदेव को जो मानता हो वह राष्ट्रवादी है !
वैयक्तिक, पारिवारिक व आर्थिक हितों में प्रथम राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानना , प्रेम में सबसे प्रथम राष्ट्रप्रेम , जीवन में एवं जगत में भी उससे ही प्रेम करना , जो देश से प्रेम करे !
जो देश से प्रेम नहीं करे , उससे प्रेम नहीं करना ! पूजा-भक्ति में प्रथम पूजा-भक्ति राष्ट्र की, उसके बाद ईश-भक्ति, मातृ-भक्ति व गुरुभक्ति आदि को मानना !
वन्दना में प्रथम राष्ट्रवन्दना, ध्यान में प्रथम देश का ध्यान , चिन्तन में प्रथम चिन्तन व राष्ट्र की चिन्ता, काम में प्रथम देश का काम , अभिमान में जो प्रथम स्वदेश का स्वाभिमान करे , वह राष्ट्रवादी है , रिश्तों में प्रथम रिश्ता-नाता नहीं रखता !
स्वच्छता व स्वस्थता में भी प्रथम देश की स्वच्छता व स्वस्थता , समृद्धि में प्रथम देश की समृद्धि , विकास में भी प्रथम राष्ट्र का विकास का प्रयास जो करता है, वह राष्ट्रवादी है !
शिक्षा में जो स्वदेशी शिक्षा को सबसे श्रेष्ठ मानता है , वह राष्ट्रवादी है ! भाषाओं में जिसके जीवन, आचरण व व्यवहार में प्रथम राष्ट्रभाषा है , वह राष्ट्रवादी है !
जो स्वदेशी शिक्षा , स्वदेशी के संस्कार , स्वदेश की संस्कृति-योग,धर्म , दर्शन व अध्यात्म से प्यार करे , वह राष्ट्रवादी है ! जो स्वस्थ , स्वच्छ , समृद्ध व संस्कारवान भारत बनाने के लिए एवं स्वदेस्गु से स्वावलम्बी राष्ट्र बनाने के लिए , जो नियंत्रित जनसँख्या के नियम से भूख , गरीबी , बेरोजगारी , से मुक्त व सौ प्रतिशत अनिवार्य मतदान के विधान से देश की भ्रष्ट राजनेतिक व्यवस्था के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है , व राष्ट्रवादी है !
जो स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियाँ-योग, आयुर्वेद , यूनानी व सिद्ध आदि के पूर्ण विकास व इन पर अनुसंधान के लिए संकल्पित है , वह राष्ट्रवादी है ! जो स्वदेशी ज्ञान अर्थात वेद , दर्शन व उपनिषद आदि से प्राप्त वैदिक स्वदेशी ज्ञान स्वदेशी खान-पान , स्वदेशी वेशभूषा , स्वदेशी कृषि व स्वदेशी ऋषि-संस्कृति से प्यार करता है , वह राष्ट्रवादी है !
जो स्वदेशी खेल , स्वदेशी कला-संस्कृति एवं स्वदेशी की प्राचीन भाषा संस्कृत एवं समस्त भारतीय भाषाओं एवं राष्ट्रभाषा से प्यार करता है व राष्ट्रभाषा को सर्वोच्च मानता है , वह राष्ट्रवादी है !
मनोरंजन में भी जो मूल्यों , आदर्शों व परम्पराओं पर आधारित भारतीय मनोरंजन में विशवास करता है , वह राष्ट्रवादी है !
राष्ट्रावाद , राष्ट्रधर्म या राजनीती से हमारा अभिप्राय राष्ट्र की उन तमाम व्यवस्थाओं , नियम-कानूनों , आदर्श-मूल्यों , व परम्पराओं से है , जिन पर चलकर देश में सुख , समृद्धि एवं खुशहाली आती है तथा देश निरन्तर विकास की दिशा में आगे बढ़ता है !
हमारे राष्ट्रवाद या राष्ट्रधर्म के आदर्श हैं :- मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम , योगेश्वर श्री कृष्ण , चन्द्रगुप्त, विक्रमादित्य , सम्राट अशोक , तिलक , गोखले , गाँधी , नेताजी , सुभाष , छत्रपति शिवाजी , महाराणाप्रताप , लोह पुरुष सरदार पटेल व लाल बहादुर शास्त्री आदि !
जो शून्य तकनीकी से बनी विदेशी वस्तुएं अपने दैनिक जीवन में उपयोग नहीं करता , वह राष्ट्रवादी है
वह खून कहो किस मतलब का, जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का, आ सके देश के काम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का, जिसमें जीवन, न रवानी है!
जो परवश होकर बहता है, वह खून नहीं, पानी है!
उस दिन लोगों ने सही-सही, खून की कीमत पहचानी थी।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में, मॉंगी उनसे कुरबानी थी।
बोले, "स्वतंत्रता की खातिर, बलिदान तुम्हें करना होगा।
तुम बहुत जी चुके जग में, लेकिन आगे मरना होगा।
आज़ादी के चरणें में जो, जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के, फूलों से गूँथी जाएगी।
आजादी का संग्राम कहीं, पैसे पर खेला जाता है?
यह शीश कटाने का सौदा, नंगे सर झेला जाता है"
यूँ कहते-कहते वक्ता की, आंखों में खून उतर आया!
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा, दमकी उनकी रक्तिम काया!
आजानु-बाहु ऊँची करके, वे बोले, "रक्त मुझे देना।
इसके बदले भारत की, आज़ादी तुम मुझसे लेना।"
हो गई सभा में उथल-पुथल, सीने में दिल न समाते थे।
स्वर इनकलाब के नारों के, कोसों तक छाए जाते थे।
“हम देंगे-देंगे खून” , शब्द बस यही सुनाई देते थे।
रण में जाने को युवक खड़े, तैयार दिखाई देते थे।
बोले सुभाष, "इस तरह नहीं, बातों से मतलब सरता है।
लो, यह कागज़, है कौन यहॉं, आकर हस्ताक्षर करता है?
इसको भरनेवाले जन को, सर्वस्व-समर्पण काना है।
अपना तन-मन-धन-जन-जीवन, माता को अर्पण करना है।
पर यह साधारण पत्र नहीं, आज़ादी का परवाना है।
इस पर तुमको अपने तन का, कुछ उज्जवल रक्त गिराना है!
वह आगे आए जिसके तन में, खून भारतीय बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को, हिंदुस्तानी कहता हो!
वह आगे आए, जो इस पर, खूनी हस्ताक्षर करता हो!
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए, जो इसको हँसकर लेता हो!"
सारी जनता हुंकार उठी-, हम आते हैं, हम आते हैं!
माता के चरणों में यह लो, हम अपना रक्त चढाते हैं!
साहस से बढ़े युबक उस दिन, देखा, बढ़ते ही आते थे!
चाकू-छुरी कटारियों से, वे अपना रक्त गिराते थे!
फिर उस रक्त की स्याही में, वे अपनी कलम डुबाते थे!
आज़ादी के परवाने पर, हस्ताक्षर करते जाते थे!
उस दिन तारों ने देखा था, हिंदुस्तानी विश्वास नया।
जब लिक्खा महा रणवीरों ने, ख़ूँ से अपना इतिहास नया।
जय हिंद .... वन्देमातरम ...
विकास शब्द की सच्चाई
आजकल यहाँ हर कोई कहता फिरता है की हमें विकास चाहिए ,सरकार कह रही है की हम आपको विकास देंगे ,महिलाये कह रही हैं की हमें विकास चाहिए , गरीब कह रहे की हमें विकास चाहिए ,पूरा भारत देश कर रहा है की हम तो हर हालत में विकास लेकर ही रहेंगे .भाई रुको जरा समज तो लो की विकास है क्या बला विकास की परिभाषा
अमेरिका और वर्ल्ड बैंक ने मिलकर भारत जैसे गरीब देशो का शोषण करने के लिए बनायीं है .सरकार की चाल है की इस विकास सबद के मायाजाल में फंसा कर गाँव में रहने वाले गरीबो को शहर की तरफ लाया जाए और वहां बड़ी बड़ी कंपनियों में मजद्रूरी कराये जाए .
भारत सरकार नकारात्मक विकास में लगी हुई जो अगली पीढ़ियों को बर्बाद कर देगा .असल आज का विकास पदार्थ अवस्था पर आधरित है और प्राचीन भरत का विकास प्रानावस्था पर आधारित था .फर्क देखिये प्रानावस्था पर आधारित विकास में हम सोने की चिड़िया थे और पदार्थ अवस्था के विकास के दोर में हमारे 33 करोड़ देशवासियों को २ वक्त की रोटी नहीं मिलती है .कही जगह मिले तो रुक जाइए और बेठ कर सोचिये कही हम बर्बाद तो नहीं हो रहे हैं .ऐसी प्रगति किस काम की जो हमरी प्रकति को ही नुक्सान पहुंचा रही है .जब प्रकति ही नहीं रहेगी तो हम और आप कहाँ से जिन्दा बचेंगे .हमें विकास चाहिए भले ही बर्बाद हो जाए लानत है इस सोच पर
आजकल यहाँ हर कोई कहता फिरता है की हमें विकास चाहिए ,सरकार कह रही है की हम आपको विकास देंगे ,महिलाये कह रही हैं की हमें विकास चाहिए , गरीब कह रहे की हमें विकास चाहिए ,पूरा भारत देश कर रहा है की हम तो हर हालत में विकास लेकर ही रहेंगे .भाई रुको जरा समज तो लो की विकास है क्या बला विकास की परिभाषा
अमेरिका और वर्ल्ड बैंक ने मिलकर भारत जैसे गरीब देशो का शोषण करने के लिए बनायीं है .सरकार की चाल है की इस विकास सबद के मायाजाल में फंसा कर गाँव में रहने वाले गरीबो को शहर की तरफ लाया जाए और वहां बड़ी बड़ी कंपनियों में मजद्रूरी कराये जाए .
भारत सरकार नकारात्मक विकास में लगी हुई जो अगली पीढ़ियों को बर्बाद कर देगा .असल आज का विकास पदार्थ अवस्था पर आधरित है और प्राचीन भरत का विकास प्रानावस्था पर आधारित था .फर्क देखिये प्रानावस्था पर आधारित विकास में हम सोने की चिड़िया थे और पदार्थ अवस्था के विकास के दोर में हमारे 33 करोड़ देशवासियों को २ वक्त की रोटी नहीं मिलती है .कही जगह मिले तो रुक जाइए और बेठ कर सोचिये कही हम बर्बाद तो नहीं हो रहे हैं .ऐसी प्रगति किस काम की जो हमरी प्रकति को ही नुक्सान पहुंचा रही है .जब प्रकति ही नहीं रहेगी तो हम और आप कहाँ से जिन्दा बचेंगे .हमें विकास चाहिए भले ही बर्बाद हो जाए लानत है इस सोच पर
Wednesday, 4 April 2012
"rashmirathi" krishna duryodhan samwad
"दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये।
'दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम , क्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशिष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले-
'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल।
अमवरत् फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें।
'उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल,
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर।
'दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर, नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र, शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
'शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें, हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।
'भूलोक, अतल, पाताल देख, गत और अनागत काल देख,
यह देख जगत का आदि-सृजन, यह देख, महाभारत का रण,
मृतकों से पटी हुई भू है, पहचान, कहाँ इसमें तू है।
'अम्बर में कुन्तल-जाल देख, पद के नीचे पाताल देख,
मुट्ठी में तीनों काल देख, मेरा स्वरूप विकराल देख।
सब जन्म मुझी से पाते हैं, फिर लौट मुझी में आते हैं।
'जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन, साँसों में पाता जन्म पवन,
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर!
मैं जभी मूँदता हूँ लोचन, छा जाता चारों ओर मरण।
'बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है, वह मुझे बाँध कब सकता है?
'हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा।
'टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा। फिर कभी नहीं जैसा होगा।
'भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा।'
थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे 'जय-जय'!"
भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये।
'दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम , क्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशिष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले-
'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल।
अमवरत् फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें।
'उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल,
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर।
'दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर, नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र, शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
'शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें, हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।
'भूलोक, अतल, पाताल देख, गत और अनागत काल देख,
यह देख जगत का आदि-सृजन, यह देख, महाभारत का रण,
मृतकों से पटी हुई भू है, पहचान, कहाँ इसमें तू है।
'अम्बर में कुन्तल-जाल देख, पद के नीचे पाताल देख,
मुट्ठी में तीनों काल देख, मेरा स्वरूप विकराल देख।
सब जन्म मुझी से पाते हैं, फिर लौट मुझी में आते हैं।
'जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन, साँसों में पाता जन्म पवन,
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर!
मैं जभी मूँदता हूँ लोचन, छा जाता चारों ओर मरण।
'बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है, वह मुझे बाँध कब सकता है?
'हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा।
'टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा। फिर कभी नहीं जैसा होगा।
'भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा।'
थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे 'जय-जय'!"
Tuesday, 24 February 2009
ISO FILM SPEED
ISO is actually a common short name for the International Organisation for Standardization.
The ISO setting on your camera is something that has carried over from film. Remember back in the ‘old days’ when you used to go and buy your rolls of film and you would buy film rated at 100, 200 or 400, maybe even 800 or 1600? Well that number refers to the film’s sensitivity to light. The higher the number, the more sensitive to light the film is. The ISO bit is from the standards for film sensitivity, and the number refers to it’s rating.So what does sensitivity mean? Well a low sensitivity means that the film has to be exposed to light for a longer period of time than a film with a high sensitivity in order to properly expose the image. With a lower sensitivity you also get a better quality image too which is why you should always try and use the lowest sensitivity you can get away with. Let’s not get ahead of ourselves though, a little more explanation is required.
You might remember buying film for a sunny holiday and the shop assistant would recommend using a film rated at 100 or 200. If, on the other hand, you were going to be taking pictures indoors, then you might be recommended a higher sensitivity like 400 or maybe 800. If you used ISO100 film and decided to take some pictures indoors, chances are you would need to use the flash, or your pictures would come out quite dark. This is because the film’s sensitivity is so low that the shutter would need to be open for a long time to let enough light in. Your camera may not have had the features to allow it to keep the shutter open for long enough, which is why you ended up with dark pictures.
This was one of the problems with film. Once you’d loaded it into your camera, you were pretty much stuck with that film sensitivity for 24 or 36 shots.
Bring on digital cameras and you can now change the ISO setting for each shot you take. That is one of the big advantages of digital photography.
So why do you only get choices like 100, 200, 400, 800, 1600 and maybe 3200 when it’s digital, surely you could set 154 or 958 if you wanted it? It’s only electrical currents and circuits after all, not a piece of film. Well, in theory you could choose any setting you wanted, but imagine how tricky that would be. There are three settings which combine to give you the exposure, these are Aperture, Shutter Speed and ISO. Each one can be changed individually to allow you to set then to what you think will give you the perfect exposure, or you can let the camera set them for you to what it thinks is the perfect exposure for the conditions it can detect. Already with three different options, each having several settings themselves, the combinations are numerous, so keeping ISO to set values, which people will understand makes it a little less confusing.
Now, I mentioned quality too, and that better quality images are achieved with a lower ISO number. If, again, you go back to film days you may remember the sort of grainy effect some images had. Well this grain effect is what is introduced with a higher sensitivity film. Digital has it’s own grain effect with higher sensitivity and is known as Noise. Digital noise can be seen a sort of speckley effect in areas of similar colour, like skies or dark shadow areas. It is a subject of much discussion and the camera is often judged on the amount of noise it produces at these higher sensitivities. This is why you should always try and keep your ISO set to the lowest number, and use aperture and shutter speed to get the right exposure. If you can’t do that with aperture or shutter speed, move up to the next ISO setting and try again.
Why is a high ISO setting needed? Well for indoor work, where flash isn’t allowed and the light levels are fairly low. Or you can use it deliberately to get the grainy gritty feel to the image (although I would prefer to add this later on the computer).
It’s well worth experimenting with ISO settings so you can see just how your camera performs at the various levels. Once you have got to grips with how changing Aperture, Shutter Speed and ISO effect your image, you’ve pretty much got all the technical fundamentals nailed.
Wednesday, 13 August 2008
Swami Vivekanand
ADDRESSES AT THE PARLIAMENT OF RELIGIONS
At the World's Parliament of Religions, Chicago11th September, 1893
Click to view text
or
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Thursday, 7 August 2008
Computer Tips and tricks
Wednesday, 6 August 2008
मेरी काशी
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